हम आज ऐसे दौर में जी रहे हैं , जहां मानवीय रिश्ते एकाकीपन का शिकार हो रहे है। भावनाएं संवेदनाओ से शून्य हो रही है । बडे – बुजुर्ग अपने ही परिवारों में अजनबीपन , बेगानापन अनुभव कर रहे है। उचित आदर -सत्कार के लिए तरस रहे हैं । तकनीकी विकास और वैश्वीकरण के युग में पारीवारिक संबंध अपनेपन का मुहताज बन रहे हैं।
ऐसे में ‘ चरण स्पर्श ‘ जैसा अनोखा , अपूर्व कार्यक्रम प्रासंगिक और सटीक है। इसमें बाडों की तहे-दिल से इज्जत और छोटों से हार्दिक प्यार का सलीका समझने और अपनाने का प्रयास शामिल है। परिवारजनो मे बीच संवाद बढाने और आपसी सम्मान को विकसित करने की कोशिश शामिल है।